अश्लील गीतों
के बढ़ते चलन के लिए गायक महिलाएं भी हैं दोषी: देवी
devi and rakesh singh sonu |
प्रख्यात लोक गायिका देवी की स्कूल कॉलेज की
पढ़ाई छपरा होम टाउन में ही हुई. सिवान के विद्या भवन महिला कॉलेज से ग्रेजुएशन कम्प्लीट
कर उन्होंने दिल्ली के गन्धर्व संगीत महाविधालय से संगीत की तालिम हासिल की. इसके बाद
उन्ळोंने श्री राम कला केंद्र से कत्थक की शिक्षा ली. गायन का शौक होने की वजह से बहुत
छोटी सी उम्र में ही गायन शुरू कर दिया था. घर में उनकी परवरिश अच्छे से हुई, पापा
सुलझे विचारों के थे लिहाजा, बच्चों में जिसको जो रूचि थी उसमें ही उन्होंने बढ़ावा
दिया. देवी बताती हैं, ‘मुझे भी पापा ने काफी प्रोत्साहित किया.स्कूल-कॉलेज स्तर पर
जब भी छपरा में कोई सिंगिंग कम्पटीशन होता पापा मुझे वहां ले जाते.और मैं वहां उन्हें
अपने प्रदर्शन से नाराज भी नहीं करती थी. फिर पता ही नहीं चला धीरे धीरे कब ये शौक
जूनून का रूप ले उनका करियर बन गया. एक दिन अचानक म्यूजिक एल्बम निकालने का आईडिया
आया. उसके लिए देवी ने दिल्ली जाकर काफी स्ट्रगल किया. तब टी-सीरीज ने उन्हें रिजेक्ट
कर दिया. इस बीच उनके गाए लोक गीतों का एक एल्बम ‘पुरबा बयार’ एक छोटी सी कंपनी द्वारा
निकाला गया. यह एल्बम मॉउथ पब्लिसिटी से चल निकला. इसके बाद क्या था. हम दोनों की चल
निकली. म्यूजिक कम्पनी भी स्टेब्लिश हो गयी. इसके बाद बहुत जल्द ही टी-सीरीज ने उन्हें
बुला एक एलबम तैयार करवाया. टी-सीरीज से उनका पहला सुपरहिट एल्बम आया ‘अईले मोरे राजा’ ये एल्बम इतना ज्यादा
हिट हुआ की टी-सीरीज के अलावा और कई कम्पनियों की लाइन लग गयी. उसके बाद उन्हें स्ट्रगल
नहीं करना पड़ा. फिर तो एक के बाद एक एल्बम और स्टेज शो मिलने लगे. राजधानी पकड़ के आ
जइहो, यारा, बावरिया, शेरावाली, फिर तेरी याद आई, और छठ एवं दुर्गापूजा के ऊपर बहुत
से भक्ति एल्बम खास रहे.
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2012-13 में देवी ने एक हिंदी मूवी प्रोडूस की
‘जलसा-घर की देवी’
जिसमे मुख्य किरदार भी निभाया था. फिल्म में रविन्द्र जैन जी का संगीत था. भले ही ये
मूवी उतनी कमर्शियली सक्सेस नहीं कर पायी लेकिन तारीफें-सराहना हर तरफ से मिली. एक
और फिल्म ‘गंगा किनारे प्यार पुकारे’ जिसमें में देवी ने सेकेण्ड लीड रोल निभाया है. वह एक डाॅक्टर बनी है. पर उनका हमेशा
ध्यान गायिकी पर ज्यादा रहा. देवी कहती हैं, ‘मैं चाहती हूँ की जो भी गाऊं मुझे अच्छा
लगे और साथ ही साथ एक अच्छे भाव उत्पन्न करे. आजकल के अनेकों खासकर भोजपुरी के गाने
स्तरहीन हो गए हैं. वैसे गानों से अच्छा है मैं गाँऊ ही नहीं क्यूंकि ऐसे गाने समाज
को बिगाड़ने वाले होते हैं, महिलाओं की सीधेसीधे बेइज्जती करते हैं. मैं मानती हूँ की
इसे बढ़ावा देने के लिए कलाकारों का भी दोष है. सिर्फ फिल्मो में नहीं बल्कि पुरे वल्र्ड
में वल्गैरिटी है. लेकिन कमाल की बात देखिये की जो वल्गैरिटी को गाते-बढ़ाते हैं वही
आगे बड़ गए हैं. अश्लील गीत आज महिलाएं भी गा रही हैं तो जितना वैसे गीत गाने वाले पुरुश
दोषी हैं उतना ही महिलाएं भी दोषी हुई. निर्देशक बहुत बड़ा जिम्मेदार होता है अच्छे
और गलत के लिए. मैं कम कपड़ों में एक्सपोस को बुरा नहीं मानती. लेकिन यहाँ औरतों को
शो पीस बनाकर रख दिया गया है. लेकिन फिर भी जो वास्तव में कला है, रियलिटी है उसको
भले ही टाइम लगे लेकिन वो एक दिन मुकाम पर पहुंचेगी ही. और सच्ची कला को किसी शॉर्टकट
की जरूरत नहीं है.
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हर तरह
के गाने का शौक रखनेवाली देवी को गजल और रोमांटिक
सॉन्ग ज्यादा फेवरेट है. चूँकि मुंबई म्यूजिक और आर्टिस्टों की जगह है इसलिए
उन्होंने भी 2006 में मुंबई शिफ्ट किया. बॉलीवुड की एक हिट फिल्म ‘थैंक यू’ में म्यूजिक डायरेक्टर
प्रीतम के साथ काम किया .एक रीमिक्स सॉन्ग ‘रजिया गुंडों में फंस गयी’ गाया जो काफी पसंद किया
गया. एक आर्ट मूवी ‘वूमेन फ्रॉम द ईस्ट’ में गाने गाये हैं जिसे टोरंटो फिल्म फेस्टिवल
में भेजा गया.
उन्होंने फॉरेन में भी स्टेज शो से धाक जमाई
है जिनमे रसिया, बैंककोक, कतर, मारीसस, जर्मनी, डेनमार्क, भूटान वगैरह हैं. अभी मार्किट
में उनका एक नया एल्बम टी-सीरीज से आया है ‘विद्यापति के सदाबहार गीत’ जो मैथिलि भाषा में हंै.
और वेब कंपनी से आया एल्बम ‘डीजे वाला भाई कर म्यूजिक कम’ बहुत हिट रहा. ये इंटरनेट
पर भी एभिलेवल है.
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विदा लेते हुए देवी ने ये भी बताया, ऋषिकेश में
देवी म्यूजिक आश्रम भी खुला है जहाँ कत्थक, क्लासिकल गाने, योगा और मेडिटेसन के क्लासेस
लगते हैं. संस्था की देखरेख उनकी बहन नीति करती हैं. वहां बहुत ही कम लागत पर ये सब
सिखाया जाता है. गरीब विधार्थियों को तो फ्री ऑफ कॉस्ट सिखाया जाता है. वहां फॉरेन
से भी बढ़ी संख्या में लोग सीखने आ रहे हैं. देवी म्यूजिक आश्रम का प्लस पॉइंट है कुदरत
की हंसी वादियों में वहां सभी को बड़ा ही हेल्दी वातावरण मिलता है. - राकेश सिंह ‘सोनू’
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